राफेल डील पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट, चौकीदार ईमानदार है
*सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला
*देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राफेल की नहीं होगी कोई भी जांच
*राहुल गांधी ने कहा था चौकीदार चोर है एक बार फिर विपक्ष के सभी आरोप निकले झूठे
*राहुल गांधी हुए झूठे साबित
नई दिल्ली। राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुना दिया है। शीर्ष कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के बाद एक बार फिर मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी है। इसके पूर्व दिसंबर 2018 में भी फैसला केंद्र सरकार के पक्ष में ही आया था। इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्रियों अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और वकील प्रशांत भूषण ने सामूहिक तौर पर शीर्ष कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इस पुनर्विचार याचिका में कहा गया था कि राफेल के हाल के फैसले में कई त्रुटियां हैं। यह फैसला सरकार के गलत दावों पर आधारित है। याचिकार्ताओं ने इसे स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन बताते हुए पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई की मांग की थी। जिसे मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका पर दोबारा सुनवाई की गई थी।
राफेल डील पर मार्च 2018 में दायर हुई थी PIL
मोदी सरकार द्वारा फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों को लेकर डील की गई थी। सरकार ने संसद में हर राफेल विमान की कीमत 670 करोड़ रुपए बताई थी। लेकिन कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि राफेल खरीदी की वास्तविक कीमत इससे कहीं ज्यादा है। इसके बाद 13 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी जिसमें फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीदी संबंधी सरकार के फैसले की स्वतंत्र जांच की मांग करने के साथ ही संसद के सामने सौदे की वास्तविक कीमत का खुलासा करने का अनुरोध भी किया गया था।
दिसंबर 2018 में मोदी सरकार को मिली थी क्लीन चिट
राफेल सौदे पर सवाल उठाने वाली इस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई होने के बाद 14 दिसंबर 2018 को शीर्ष कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने इस मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने इस सौदे में कथित तौर पर हुई अनियमितताओं को लेकर CBI को FIR दर्ज करने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था।